अरसे बीत गए,
बचपन चला गया है,
जवानी से जी भर चला है,
दुनियादारी कर ली है जी भर के,
समझदारी भी भुला थोड़ा पी करके,
नाराजों को मनाया भी,
नाराज हो के माना भी,
दुनिया को बड़ी इज्जत भी दिया,
जूते से लगाया है ये ज़माना भी ,
जिंदगी को जी भर के जी लिया हूं , पर मेरे यार,
मरने से आज भी डरता डरता हूं,
उसके जाने से जो खालीपन मिला है, वो भर जायेगा , बस मिल जाए मेरे हक का जरा सा प्यार,
या के बस उसका दीदार,