खरगोश
जो खरगोश कछुए से हरा होगाउसने दिन कैसे गुजारा होगा अपमान सब की नजर में देखा होगाउसने जब भी जिस […]
ये जरा सा दुख, ज्यादा लग रहा है क्या, खुशियों में राहु बन ये, हर घड़ी ठग रहा है क्या,
वो जिंदा जल रहा है,इश्क में जो पल रहा है, धड़कने धक धक नहीं चलती उसकी,उसका दिल जब से दहल
इश्क माप से नही होगाआप रहने दे आप से नही होगा होगा वही जो लिखा होगाकुछ भी हमारे हिसाब से